Monday 12 October 2015

ऐ शौक न समझ ये आशिकी भी क्या चीज है।
ख़फ़ा का हुनर सिख लेना वफ़ा करने से पहले।।  -धीरज चौहान

मृत्यु का डर कैसा !

एक मछुआरा समुद्र में मछलियाँ पकड़ता था और अपनी जीविका अर्जित करता था। एक दिन उसके ब्यापारी मित्र ने पूछा 'मित्र, तुम्हारे पिता हैं?
मछुआरा बोला, 'नहीं, उन्हें समुद्र की एक मछली निगल गई।' ब्यापारी ने पूछा, 'और तुम्हारा भाई?' मछुआरे ने उत्तर दिया, 'नौका डूब जाने के कारण वह समुद्र की गोद में समा गया। ' ब्यापारी ने दादाजी और चाचाजी के सम्बन्ध में पूछा तो वे भी समुद्र में ही लीन हो गए थे।
ब्यापारी ने कहा, 'मित्र, यह समुद्र तुम्हारे परिवार के विनाश का कारण है, इस बात को जानते हुए भी तुम यहाँ बराबर आते हो? क्या तुम्हें मरने का डर नहीं है ?' मछुआरा बोला, 'भाई, मौत का डर किसी की हो या न हो,  पर वह तो आएगी ही। तुम्हारे घर वालों में से शायद इस समुद्र तक कोई नहीं आया होगा, फिर भी वे सब कैसे चले गए? मौत कब आती है और कैसे आती है, यह आज तक कोई भी नहीं समझ पाया। फिर मैं बेकार क्यों डरूं?
मछुआरे की बात सुन कर ब्यापारी के कानो में भगवान महाबीर की वाणी गूंजने लगी- 'मृत्यु का आगमन किसी भी द्वार से हो सकती है। '
वज्र से बने मकान में रह कर भी ब्यक्ति मौत की पकड़ से नहीं बच सकता, इसलिए केवल वर्तमान में जीने वाला ब्यक्ति ही मौत के भय से ऊपर उठ सकता है।
-आचार्य तुलसी