Wednesday 26 March 2014

डर

डर 

तुम जो न हो
ये महफ़िल वीरान है
और सूना है
ये कैनवास
तेरी तस्वीर बिन
ये रौशनी की झलक
शीशे की चमक
याद दिलाते हैं मुझे
मुलाकातों के दिन
ठहरी पड़ी है
साँसों की सरगम
और मंद ये फ़िज़ायें
ये मस्त बहार
जमने को है अब
मेरे तम्मनाओं के ओस
होने लगी डगमग सी
दीये आशाओं के
अब तो डर है
कहीं ये भी बूझ न जाए।।

                               - धीरज चौहान

Monday 10 March 2014

First Love poem


चाँद कल भी था 
आज भी है 
बस चांदनी की 
ठंढ़क बढ़ गयी है 
जो दिल को शुकून दे 
वो चाहत भरी 
नज़र मिल गयी है 

रात कल भी थे 
आज भी हैं 
बस इसकी 
उम्र बढ़ गयी है 

रंग कल भी थे 
आज भी हैं 
बस इनकी 
कदर बढ़ गयी है 

हम कल भी थे 
आज भी हैं 
पर लगता है कि मुझे 
जिंदगी मिल गयी है 

यह सब हुआ है 
जबसे…
…तुम मिल गए हो। 

-अज्ञात 

और कोई नहीं

तेरे दिल कि चाहत 
बस मैं होता 
और कोई नहीं,
तेरे दिल में समाया 
बस मैं होता 
और कोई नहीं,,,

उठती निगाहें तेरी 
हर किसी के आगे 
तेरे पलकों पे छाया 
बस मैं होता 
और कोई नहीं,,,

देते दुआ सब तुम्हें 
करते सिफारिश तेरे लिए 
कदम दर कदम तेरी 
अपनी जान बिछाए 
बस मैं होता 
और कोई नहीं,,,

खामोशियों में, तन्हाइयों में 
हर दर्द की रुसवाइयों में 
करती जिसे याद तू 
उन यादों में जगह बनाये 
बस मैं होता 
और कोई नहीं,,,

Saturday 8 March 2014

Love them who don't want to Live without you



उससे प्यार ना करें, जो आपकी जिंदगी में सामिल होने को इच्छुक नहीं है.… उनसे प्यार करें जो आपके बगैर जीना नहीं चाहते। 

- धीरज चौहान 

Friday 7 March 2014

क्यों न मुझे बेपनाह प्यार हो ....

है किसी की अक्श 
धुंधली सी मेरे खाबों में 
जिसकी तलाश में 
ये झुकी पलकें हैं  

है उसकी आहट 
कुछ इस कदर यादों में 
कि तन्हाइयों में भी 
अपनी सदा 
कभी दे जाती है 

नाम भी दे दूँ 
गर किसी लम्हा 
उसका दीदार हो 

बाहें फैला दूँ 
गर किसी वादों में 
उसके आने का इक़रार हो 

है कौन वो 
क्या पता !
है कहाँ वो 
क्या खबर !
फिर भी हर पल 
अपने करीब पता हूँ उसे 
तो क्यों न मुझे 
बेपनाह उससे प्यार हो .... 

Fall in Love Again and Again


दिल से की हुई मोहब्बत उस बच्चे की तरह होता है जिसे आप लाख नफरत  कर लो, वो जब भी आपके पास आ जाये आपको उसपर फिर से प्यार आ जाता है। 

--धीरज चौहान