Thursday 7 March 2013
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ज़ुबां पे कल की बात तो आने दीजिये
इन हाथों में अपना हाँथ तो आने दीजिये
निगाहें तो कबके ढूंढ़ चुकी है मंजिल अपनी
हमसफ़र के लिए अपना साथ तो आने दीजिये
बातों ही बातों में निकल आयेंगें किस्से इश्क के
इन खामोश होठों पे कोई राज तो आने दीजिये
कैसे लड़खड़ाने लगे आप जब साथ हम हैं
पहले ही थाम लेंगे गिरने के हालात तो आने दीजिये
आप डरते ही हैं फिजूल इन अंधेरों से
सितारे रह दिखायेंगे पहले रात तो आने दीजिये
कर लेंगे ''चौहान'' पर यकीं जब दिल की बात होगी
बस कहने का कोई हुन्नर याद तो आने दीजिये
Wednesday 6 March 2013
जागने दो मुझे (Poem)
जागने दो मुझे ......
इससे पहले की
मैं मर न जाऊं
जीने दो मुझे ..
इससे पहले की
मैं सो न जाऊं
जागने दो मुझे ..
एक अंधेर होगी
जीने के बाद
जिसे हम मौत कहेंगे,
एक अंधेर होगी
जागने के बाद
जिसे हम रात कहेंगे,
जिस तरह
ये भी एक जिन्दगी है
वो भी एक जिन्दगी होगी,
जिस तरह
इसमें एक तन मिला
उसमें भी मिल जायेगा,
परन्तु
उसकी शुरुआत होगी
एक बिज़ से
और इसमें आ चुके हैं
कई मंज़र ...
कल भी उड़ेंगे
बादल के सैकड़ों टुकड़े
इन खुले आसमान में
कल भी सुनूंगा
उनका गरजना,
और देखूंगा
बरसने के लिए
एक छत ढुंढना
पर कल,
इन सबके लिए
एक इंतज़ार होगी
आज वो
मेरे छत बरस रहें हैं ...
इससे पहले की
मैं सो न जाऊं
जागने दो मुझे ..
इससे पहले की
मैं मर न जाऊं
जीने दो मुझे ..
इससे पहले की
मैं सो न जाऊं
जागने दो मुझे ..
एक अंधेर होगी
जीने के बाद
जिसे हम मौत कहेंगे,
एक अंधेर होगी
जागने के बाद
जिसे हम रात कहेंगे,
जिस तरह
ये भी एक जिन्दगी है
वो भी एक जिन्दगी होगी,
जिस तरह
इसमें एक तन मिला
उसमें भी मिल जायेगा,
परन्तु
उसकी शुरुआत होगी
एक बिज़ से
और इसमें आ चुके हैं
कई मंज़र ...
कल भी उड़ेंगे
बादल के सैकड़ों टुकड़े
इन खुले आसमान में
कल भी सुनूंगा
उनका गरजना,
और देखूंगा
बरसने के लिए
एक छत ढुंढना
पर कल,
इन सबके लिए
एक इंतज़ार होगी
आज वो
मेरे छत बरस रहें हैं ...
इससे पहले की
मैं सो न जाऊं
जागने दो मुझे ..
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