Wednesday 6 March 2013

जागने दो मुझे (Poem)

जागने दो मुझे ......

इससे पहले की
मैं मर न जाऊं
जीने दो मुझे ..

इससे पहले की
मैं सो न जाऊं
जागने दो मुझे ..
एक अंधेर होगी
जीने के बाद
जिसे हम मौत कहेंगे,
एक अंधेर होगी
जागने के बाद
जिसे हम रात कहेंगे,
जिस तरह
ये भी एक जिन्दगी है
वो भी एक जिन्दगी होगी,
जिस तरह
इसमें एक तन मिला
उसमें भी मिल जायेगा,
परन्तु
उसकी शुरुआत होगी
एक बिज़ से
और इसमें आ चुके हैं
कई मंज़र ...

कल भी उड़ेंगे
बादल के सैकड़ों टुकड़े
इन खुले आसमान में
कल भी सुनूंगा
उनका गरजना,
और देखूंगा
बरसने के लिए
एक छत ढुंढना

पर कल,
इन सबके लिए
एक इंतज़ार होगी
आज वो
मेरे छत बरस रहें हैं ...

इससे पहले की

मैं सो न जाऊं
जागने दो मुझे ..