Monday 10 March 2014

First Love poem


चाँद कल भी था 
आज भी है 
बस चांदनी की 
ठंढ़क बढ़ गयी है 
जो दिल को शुकून दे 
वो चाहत भरी 
नज़र मिल गयी है 

रात कल भी थे 
आज भी हैं 
बस इसकी 
उम्र बढ़ गयी है 

रंग कल भी थे 
आज भी हैं 
बस इनकी 
कदर बढ़ गयी है 

हम कल भी थे 
आज भी हैं 
पर लगता है कि मुझे 
जिंदगी मिल गयी है 

यह सब हुआ है 
जबसे…
…तुम मिल गए हो। 

-अज्ञात