First Love poem
चाँद कल भी था
आज भी है
बस चांदनी की
ठंढ़क बढ़ गयी है
जो दिल को शुकून दे
वो चाहत भरी
नज़र मिल गयी है
रात कल भी थे
आज भी हैं
बस इसकी
उम्र बढ़ गयी है
रंग कल भी थे
आज भी हैं
बस इनकी
कदर बढ़ गयी है
हम कल भी थे
आज भी हैं
पर लगता है कि मुझे
जिंदगी मिल गयी है
यह सब हुआ है
जबसे…
…तुम मिल गए हो।
-अज्ञात