तेरे दिल कि चाहत
बस मैं होता
और कोई नहीं,
तेरे दिल में समाया
बस मैं होता
और कोई नहीं,,,
उठती निगाहें तेरी
हर किसी के आगे
तेरे पलकों पे छाया
बस मैं होता
और कोई नहीं,,,
देते दुआ सब तुम्हें
करते सिफारिश तेरे लिए
कदम दर कदम तेरी
अपनी जान बिछाए
बस मैं होता
और कोई नहीं,,,
खामोशियों में, तन्हाइयों में
हर दर्द की रुसवाइयों में
करती जिसे याद तू
उन यादों में जगह बनाये
बस मैं होता
और कोई नहीं,,,