Dhiraj Chauhan
Wednesday 5 February 2014
Thought
यदि कोई इंसान दोषी नहीं है
फिर भी उसे दोषी होने का अहसास हो रहा हो
तो उसके अंदर इससे बड़ा बदलाव और कुछ नही। -चौहान
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