भावना
एक सवाल
जो उलझी है
मन के भीतर
अंतरात्मा की पहलूओं में
जो बंधी है
शायद कभी न खुलने के लिए
दिल कि गहराइयों में
निःस्वार्थ प्रेम की
बंधनों से
न जेन कैसे आज पन्नो पे
एक शब्द रूप
दे डाला उसे
न जाने कैसे
जुबां की जगह
आज हांथों ने ले ली
सम्बोधित करके
मेरी 'भावना' को
एक सवाल से।
एक सवाल
जो उलझी है
मन के भीतर
अंतरात्मा की पहलूओं में
जो बंधी है
शायद कभी न खुलने के लिए
दिल कि गहराइयों में
निःस्वार्थ प्रेम की
बंधनों से
न जेन कैसे आज पन्नो पे
एक शब्द रूप
दे डाला उसे
न जाने कैसे
जुबां की जगह
आज हांथों ने ले ली
सम्बोधित करके
मेरी 'भावना' को
एक सवाल से।