Monday 10 February 2014

भावना (Poem)

भावना

एक सवाल

जो उलझी है
मन के भीतर
अंतरात्मा की पहलूओं में

जो बंधी है
शायद कभी न खुलने के लिए
दिल कि  गहराइयों में
निःस्वार्थ प्रेम की
बंधनों से

न जेन कैसे आज पन्नो पे
एक शब्द रूप
दे डाला उसे

न जाने कैसे
जुबां की जगह
आज हांथों ने ले ली
सम्बोधित करके
मेरी 'भावना' को
एक सवाल से।