Wednesday 16 January 2013

ग़ज़ल



ग़ज़ल 

आपकी आँखों के अश्क ये कहते हैं 
आप मेरे दिल में हम आपके दिल में रहते हैं 

जुल्फों की सरकन बताते हैं मुझको 
की मुझे खुद में समेटने को संवारते हैं 

कब तक छुपायेंगे दिल की बातें दिल में 
कब आएगा ओ वक़्त सपर के हम भी देखते हैं 

दिन ढल जाता है सारा बैठे उनको किनारों पर 
न तूफां ही बहलाता है न लहर ही उन्हें भाते हैं 

लगता है मैं परछाई में भी उन्हें दीखता हूँ 
जब वो हंसकर आईने से बातें करते हैं 

'चौहान'  तेरे आने की कैसे खबर होती है उनको 
की राहों  पर नज़र और होठों पे दुआ रखते हैं।।