Saturday 19 January 2013

क्या हुआ (Poem)



क्या हुआ 

क्या हुआ
तुम मिलो न मिलो
उम्र भर के लिए,
दिल तो खाली रहेगा
हमेसा,
तुम्हारी यादों को
छुपाने के लिए

क्या हुआ
जो न होगी कभी स्पर्स
तुम्हारी हाथों का
मेरे हाथों पर,
एक इंतजार तो रहेगी
मेरी बाहों का
सदा के लिए

क्या हुआ
न आओगी कभी तुम
मेरी सोते ख्वाब को जगाने,
हर ख्वाबों में ही सही
होगा तुम्हारा साथ
तन्हा रातों के लिए

क्या हुआ
न सुनूंगा कभी
तेरी हंसी मिली बातों को,
इन हवाओं की
सरसराहट ही काफी होगी
तड़पते दिल को
बहलाने के लिए

क्या हुआ
जिन्दगी की इस सफ़र में
मेरी हमसफ़र
न बन पाओगी तुम,
एक उम्मीद तो है
और इंतज़ार
अगले जिन्दगी के लिए ।       _चौहान